चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें !रेल गाड़ी में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे,तीनचुटकलेटायलेटसे बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे, चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रही थी।उनकी हालत देख सहयात्री ने पूछा- भाई साब, आप कुछ परेशान लग रहे हैं, कोई तकलीफ है?“हाँ, टायलेट जाना है।” श्रीमान जी ने जवाब दिया।“तो जाते क्यों नहीं?” साथ वाले ने पूछा।“ट्रेन जो चल रही है।” श्रीमान जी बोले।“तो उससे क्या होता है?” सहयात्री कुछ समझ ना पाया।“वहाँ लिखा है ना, चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर ना निकालें !” श्रीमान जी ने अपनी परेशानी का कारण बताया।***बन्ता ट्रेन में टायलेट जाकर लौटा तो बदहवास था।सहयात्री ने पूछा- क्या हो गया?बन्ता बोला- टायलेट के छेद से मेरा पर्स नीचे गिर गया।“अरे, तो चेन खींचनी थी ना?” सहयात्री ने कहा।“दो बार खींची पर हर बार पानी बहने लगा।”***रेलगाड़ी में एक बुजुर्गवार अपनी सीट से बार-बार उठ कर टायलेट जा रहे थे, कुछ परेशान भी थे।सहयात्री बार-बार उनके आने-जाने से तंग आ चुका था।अंत में उसने चिढ़ कर कह ही दिया- बाबा आपको ‘चैन’ नहीं है?“है तो सही बेटा ! पर खुल नहीं रही है।”